*विश्व हृदय दिवस: आयुर्वेद से मिले हृदय रोगों से बचाव के उपाय*
*29 सितम्बर को विश्व हृदय दिवस* मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को हृदय रोगों के बढ़ते खतरे के प्रति जागरूक करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल लगभग 1.8 करोड़ लोग हृदय संबंधी बीमारियों से असमय मृत्यु का शिकार होते हैं। यह संख्या सभी मौतों का लगभग 31 प्रतिशत है। बदलती जीवनशैली, असंतुलित आहार और तनाव इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
*आयुर्वेद में हृदय का महत्व*
आयुर्वेद में हृदय को *प्राणायतन* यानी प्राण का मुख्य स्थान कहा गया है। चरक संहिता के अनुसार हृदय केवल रक्त संचार का अंग नहीं है, बल्कि चेतना और भावनाओं का भी केंद्र है। यही कारण है कि हृदय की सुरक्षा को जीवन की सुरक्षा माना गया है।
*हृदय रोग के कारण*
आयुर्वेद और आधुनिक दोनों ही दृष्टिकोण से हृदय रोगों के कारण लगभग समान हैं—
* अनियमित व अस्वस्थ आहार
* व्यायाम की कमी और मोटापा
* धूम्रपान व शराब जैसी आदतें
* मानसिक तनाव व चिंता
* अधिक नमक, तेल और तले हुए भोजन का सेवन
*आयुर्वेदिक समाधान*
हृदय को मजबूत बनाने के लिए आयुर्वेद कई उपाय सुझाता है –
* *अर्जुन की छाल* – शोधों से सिद्ध हुआ है कि यह हृदय की धड़कन को नियंत्रित करती है और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है।
* *लहसुन और गुग्गुल* – कोलेस्ट्रॉल और वसा को कम करने में सहायक।
* *योग और प्राणायाम* – अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और ध्यान मानसिक शांति देकर हृदय को स्वस्थ रखते हैं।
* *संतुलित आहार* – ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और पर्याप्त पानी।
✓हृदय रोग आज जीवनशैली से जुड़ी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है। दवाइयाँ और सर्जरी जरूरी होने पर जीवन बचाती हैं, लेकिन आयुर्वेद हमें यह सिखाता है कि यदि आहार-विहार और दिनचर्या में संतुलन लाया जाए तो रोगों से बचाव संभव है।
इस *विश्व हृदय दिवस* पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुरूप जीवन जीकर हृदय को स्वस्थ और मजबूत बनाएँगे।
*डॉ. मनीष कुमार शर्मा*
असिस्टेंट प्रोफेसर, क्रिया शारीर विभाग
डॉ सर्वेश कुमार शुक्ला आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज ,बहराइच, उत्तर प्रदेश
