वनस्पति विज्ञान विभाग एम ०एल ०के ०पीजी कॉलेज बलरामपुर के शैक्षणिक भ्रमण के अंतर्गत बायसन लाज, प्रोस्टेस्ट क्रेस्टिस्ट चर्च,जटाशंकर महादेव का किया गया भ्रमण
मंजीत मिश्रा की रिपोर्ट।
बलरामपुर। वनस्पति विज्ञान विभाग, एम० एल० के० पी० जी० कॉलेज कॉलेज बलरामपुर के शैक्षणिक भ्रमण के अंतर्गत विभिन्न स्थानों बाइसन लॉज, प्रोटोस्टेट क्राईस्ट चर्च व जटा शंकर महादेव का भ्रमण किया गया।
प्रोटोस्टेट क्राईस्ट चर्च का निर्माण पूर्वी बंगाल इन्फेन्ट्री के जनरल एंव पंचमढ़ी में वर्षों तक रहे सहायक कमान्डेंट फ़्रेंकवर्ड मोरिस (1848-1878) की स्मृति में उनके व्यक्तिगत मित्रों द्वारा कराया गया था। इस चर्च के चारों ओर क्यूप्रसस के पेड़ लगे हुए हैं। जिनके बारे में विभागाध्यक्ष डॉ राजीव रंजन ने छात्रों को जानकारी दी। क्यूप्रसस एक जिमनोस्पर्म के कोनिफरेल्स कुल का सदस्य है। जो कि ज़्यादातर पहाड़ी इलाक़ों में उगता है।
इसी क्रम में हम सभी लोग बाईसन लॉज म्यूज़ियम गये। सन् 1857 की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम लड़ाई के दौरान तात्या टोपे की तालाश में ब्रिटिश सेना के बंगाल लेन्सर्स के केप्टेन जे॰ फोरसिथ विधीवशात यहाँ आ पहुँचे और सन् 1862 में पंचमढ़ी का प्रथम मकान बायसन लॉज उन्होंने अपने लिए बनवाया।
अंततः पंचमढ़ी ब्रिटिश सेना का प्रमुख केन्द्र और मध्य भारत की उस समय की ग्रीष्म क़ालीन राजधानी बन गया।
हम सभी लोगों ने म्यूज़ियम का अवलोकन किया तथा डॉ मो० अकमल ने छात्रों को म्यूज़ियम के बारे में तथा आस पास के पेड़ पौधों के जैसे पाइनस, एंव बैम्बू के बारे में जानकारी दी। यहाँ पर सबसे लम्बे बैम्बू की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती है। डॉ वी० पी० सिंह ने ओरोकेरिया की विभिन्न प्रजातियों से सभी छात्रों को अवगत कराया तथा उसके बारे में जानकारी दी।
इसके पश्चात् सभी जटाशंकर महादेव गये जो कि एक प्राचीन मंदिर है । यह मध्य प्रदेश के सतपुडा घाटियों में स्थित है। यहाँ मान्यताओं के अनुसार भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव ने पहले इटारसी के पास स्थित तिलक सिंदूर में शरण ली और फिर जटा शंकर में छिप गये जिससे पंचमढ़ी की मान्यता बढ़ गयी।
