*न्यायालय द्वारा हत्या कर सिर उठा ले जाने वाले आरोपितों को 10 वर्ष व आजीवन कारावास की सजा तथा 1,40000 रुपए का अर्थ दंड सुनाया गया*
संवाददाता मंजीत कुमार मिश्र
*जिला एवं सत्र न्यायालय/श्रावस्ती*-
हत्या कर सर उठा ले जाने के आरोपितों को 10 वर्ष व आजीवन कारावास की सजा तथा एक लाख चालीस हजार रुपए का अर्थ दंड ।
अभियोजन पक्ष की पैरवी कर रहे हैं अपर जिला शासकीय अधिवक्ता(फौजदारी) सत्येंद्र बहादुर सिंह के अनुसार दिनांक 17 /2 /2011 समय 5:00 की है ,ग्राम बड़रहवा थाना सिरसिया निवासी नुक्के खाँ व कून खाँ जो आपस में सगे भाई थे, अपने ग्रामवासी समसुलहक पुत्र खलील खां के साथ भिनगा न्यायालय में अपने लड़की को भगा ले जाने के मुकदमे की पैरवी में आए थे, शाम को वापस जाते समय भुतना के सिवान में जाहिल के खेत के पास ग्राम बड़रहवा के ही बदरुद्दीन, पप्पू अबरार ,मेराजुद्दीन समसुद्दीन ने तलवार से गला काटकर इन दोनों व्यक्तियों की हत्या कर थी, तथा इन दोनों मृतको के सर को उठा ले गए थे । सर विहीन लाश घटनास्थल पर पड़ी थी ।घटना के चश्मदीद साक्षी समसुल के बताने पर नुक्के खां के पुत्र इंतजार खां ने थाना सिरसिया पर तहरीर देकर सभी अभियुक्त गणों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करवाया था । घटना के 12-13 दिन के बाद दोनों मृतकों का सर चिलमहवानाला ग्राम पूरे शिवदीन से बरामद हुआ था। इस मामले में तीन दोषियों को पहले ही आजीवन कारावास की सजा दी जा चुकी थी। शमसुद्दीन व मेराजुद्दीन विचारण के दौरान लाकप से न्यायालय लाते समय फरार हो गए थे । लगभग 4 वर्ष बाद यह दोनों मुंबई से पकड़कर लाऐ गए थे। इन दोनों का विचारण अपर सत्र न्यायालय (प्रथम ) की अदालत पर हुआ । इस मामले में मुख्य गवाह शमसुल समसुद्दीन व मेराजुद्दीन के मामले में पक्ष द्रोही हो गया था किंतु अन्य साक्षीयों के साक्ष्य के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) अमित कुमार प्रजापति ने दोनों अभियुक्तों शमसुद्दीन व मेराजुद्दीन को दोषी करार देते हुए सभी अपराधों में अलग-अलग सजा दी हैं । धारा 148 आईपीसी में दो-दो वर्ष का करवास व 5000-5000 रुपए का अर्थ दंड धारा , धारा 201 आईपीसी में 5 वर्ष का करवास व दस-दस हजार रुपए का अर्थ दंड, 25 आयुध अधिनियम में तीन-तीन साल का करवास व पांच -पांच हजार रूपये का अर्थ दंड तथा धारा 302 ,149 आई. पी.सी. में आजीवन कारावास व पचास-पचास हजार रूपये का अर्थ दंड के दंड से दंडित किया है । न्यायालय ने अपराध को विरलतम मानते हुए यह आदेश दिया कि अभियुक्त गण के विरुद्ध आरोपित अपराध की समस्त सजा पृथक -पृथक चलेंगी। सर्वप्रथम अभियुक्त गणों को न्यूनतम दंडादेश के संबंध में सजा भुगतनी होगी इसके पश्चात उसे वृहद दंडादेश की सजा भुगतने के पश्चात सबसे अंत में आजीवन कारावास की सजा भुगतनी होगी ।अर्थ दंड की आधी धनराशि जमा होने पर नुक्के खां व कून खां की पत्नियों को दिया जाएगा ।
